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Chandan Kumar

Abstract

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Chandan Kumar

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मैं नहीं जानता हूं

मैं नहीं जानता हूं

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उसने पूछा था,

हाल अपना बताओ,

मैंने कहा था,

ख़्याल अपना बताओ,


इतना ही पर वो,

मुस्कुरा के मौन हो गया

जानें किस ख़्याल में वो,

गौन हो गया,


कई दिन बाद वो,

फ़िर रास्ते में मिला,

अबकी बार वो,

मुस्का के मेरे गले मिला


मैं समझ न सका

जानें उसके अंदर,

कैसे ये फूल खिला

जब मिला मुस्का के गले मिला !


मैं नहीं जानता हूं,

पर वो मुझे आदर्श कहता हैं,

आपकी बातों से ही,

मुझे कुछ सिखने को मिलता हैं !


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