ओ हरियाली को काटने वालों
ओ हरियाली को काटने वालों
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ओ हरियाली को काटने वालों,
तुम इसकी मोल पहचानों।
क्या तुम्हें शर्म नहीं आई,
कि इसी से हमनें है जीवन पाई।
इसी से मिलती है हमें ऑक्सीजन,
इसी ने हमें दिया है भोजन।
प्रेरित किया आगे बढ़ने को,
तपा कर अपने जीवन को।
जन्म से मृत्यु तक ढोता हमें है,
फिर भी नहीं हम सहमें हैं।
सिंचित करो इसे भी तुम,
तभी स्वच्छ हवा पाओगे तुम।
ओ हरियाली को काटने वालों,
तुम इसकी मोल पहचानों।।