प्यारप्यार…. की क्या परिभाषा
प्यारप्यार…. की क्या परिभाषा
ये तो हर सांस पर बसी,
जीवन की एक गाथा है।
भगवान का वरदान है ये
हर जीवन का अरमान है ये,
कभी दिल को देता सुकून है
कभी बेचैनी दे जाता है।
प्यार, प्यार.. की क्या परिभाषा है?
कभी मिटाए दर्द पुराना
कभी नए दर्द जगाता है,
सर्द मौसम में कभी
अजीब सी प्यास जगाता है।
प्यार, प्यार.. की क्या परिभाषा है?
कभी अपने बेगाने लगते
ऐसा रंग चढ़ाता है,
कभी सुलाता मीठी नींद
माँ की लोरी बन जाता है।
प्यार, प्यार.. की क्या परिभाषा है?
कभी सावन में भीगा कर
सपना सजा जाता है,
तो कभी बन के आग
तपन सहा जाता है।
प्यार…. की क्या परिभाषा है?
ये तो हर सांस पर बसी,
जीवन की एक गाथा है।