संग जो चले होते |
संग जो चले होते |
दो कदम तुम दो कदम हम संग चले होते
तन्हा न मैं तन्हा न तुम कभी दोनों रहे होते
याद किया होता गर दिल से कभी तुमने मुझे
कभी ख्वाबो में ही सही हम दोनों मिले होते
सिवा तेरी यादों के पास मेरे कुछ बचा नहीं
साथ दिया न वक्त वरना इश्क फूल खिले होते
काश कि लौट आते हमारे वो बीते हुये लम्हे
मैं तुम्हारा तुम हमारे अब मीत बन चले होते
ये मजबूरियाँ ये दूरियाँ खलती बहुत है मुझे
दिल लगाया न होता न हम तेरे दिलजले होते
छोड़ चुके हो मेरा साथ मेरे शहर को तुम
लौट आते तुम मोहब्बतें गुल फले फुले होते।