STORYMIRROR

shagun Kumari

Others

3  

shagun Kumari

Others

अनोखा घर

अनोखा घर

1 min
205

सबका अपना होता है,

सबको रहना होता है,

और जहाँ सुख-दुःख होता है,

वह अनोखा घर होता है।

चार-दीवार के अंदर रहते सब,

समय पता नहीं बीत जाता है कब,

वह अनोखा घर होता है।

जहाँ सब अपना काम करते है,

मिल-जुलकर साथ हमेशा रहते है,

वह अनोखा घर होता है।


आज मनुष्य की हरकतों से घर बिखरता जा रहा है,

एकता का वातावरण पिघलता जा रहा है,

कहीं ऐसा ना हो कि कोई कहे पहले ऐसा होता था,

हर अच्छा घर, अनोखा घर होता था।


Rate this content
Log in