माँ
माँ
उदास रहने को कोई अच्छा
नहीं बताता।
कोई भी जहर को मीठा नहीं
बताता है।
कल अपने आप को देखा था
माँ की आँखों में
ये आईना हमें बूढ़ा नहीं बताता
है।
ए अँधेरे देख ले मुंह तेरा काला
हो गया
माँ ने आँखें खोल दी घर में
उजाला हो गया।
किस तरह वो मेरे गुनाहों को
धो देती है
माँ बहुत गुस्से में होती है तो रो
देती है।
बुलंदियों का बड़ा से बड़ा
निशान छुआ
उठाया गोद में माँ ने तब
आसमान छुआ।
किसी को घर मिला हिस्से में
या को दुकान आई
मैं घर में सबसे छोटा था मेरे
हिस्से में माँ आई।
