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shagun Kumari

Inspirational Others

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shagun Kumari

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अगर पेड़ भी चलते होते

अगर पेड़ भी चलते होते

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अगर पेड़ भी चलते होते,

कितने मजे हमारे होते,

बांध तने में उसके रस्सी,

चाहे जहाँ कहीं ले जाते।

जहाँ कहीं भी धूप सताती,

उसके नीचे झट सुस्ताते,

जहाँ कहीं वर्षा हो जाती,

उसके नीचे हम छिप जाते।

लगती भूख यदि अचानक,

तोड़ मधुर फल उसके खाते,

आती कीचड़ -बाढ़ कहीं तो,

झट उसके उपर चढ़ जाते।

अगर पेड़ भी चलते होते

कितने मजे हमारे होते!


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