दिल से
दिल से
ख़ुशी तुझमें ही छिपी है कहीं
खुश रहने के लिये सिर्फ
सोच बदल कर देख
जो तेरे मुकद्दर में है उसे
कोई छीन नहीं सकता
जो तेरी किस्मत में नहीं
उसे तू पा नहीं सकता
कर्म करना नियति है हमारी
फल मिले न मिले वो हरी इच्छा
मन माफिक हो तो अच्छा
मन माफिक न हो तो और भी अच्छा
कल पर बस न तेरा न मेरा
उसको सोच सोच कर ये
आज क्यों बिगाड़ दें अपना
अलहदा फ़ितरत है तेरी मेरी
फिर भी जीने को तू ही ज़रूरी।