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Neetu Lahoty

Abstract

3  

Neetu Lahoty

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याद

याद

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शायद उसे भी चाँद देख कर

मेरी याद तो आती होगी 


जब बादलों के आगोश में खो जाता है चाँद 

वो भी हौले से मुस्कुराती होगी 


पूनम की रात वो झूम कर गाती होगी 

अमावस पर बेतहाशा आँसू बहाती होगी 


कई रात गुजारी साथ चाँद तकते हुए 

जानता हूँ कहेगी कुछ नहीं 


पर हर रात छत पर जाने से कतराती होगी

मेरी यादों के साये से


खुद को कैसे बचाती होगी

उसे भी मेरी याद बेतहाशा सताती होगी।


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