बेमिसाल वो
बेमिसाल वो


मैं चाह कर भी नफ़रत
उससे कर न सका
मौहब्बत जितनी भी थी
कमाल की थी
मैं उसका हमसफ़र बन न सका
पर जो लम्हें गुजरे उसके साथ
बेमिसाल थे
मैं उसका सुकून बन न सका
पर मेरे हिस्से का पुरसुकून
लाजवाब था
मैं अपनी चाहत मुकम्मल कर न सका
पर हासिल जो भी हुआ
यक़ीनन कमाल का था
मैं जहन से उसे कभी जुदा कर न सका
हक़ीक़त में वो शख्स बेमिसाल था