याद आई बहुत
याद आई बहुत
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जब मिले फिर कहीं याद आई बहुत !
याद ने मुश्किलें भी बढ़ाई बहुत !!
पुष्प मुरझा गए, जो क़िताबों रखे !
गंध उनकी हृदय में समाई बहुत !!
लब हँसे, दिल खिले, नैन बैचेन से !
याद क़ायम रही क्यों बताई बहुत !!
क्या विवशता बनी बेड़ियाँ भी कभी !
साफ़गोई दिलों ने जताई बहुत !!
जो बड़ों ने किए फैसले सिर धरे !
ज़िंदगी ने भले की ढिठाई बहुत !!
तुम हँसे, हम हँसे, दी दुआएं सदा !
याद लगती पुरानी पराई बहुत !!
कौन अपना पराया विवेचन कठिन !
है "बिरज" बस यहाँ जग हँसाई बहुत।