युद्ध
युद्ध


सीमाओं की हद जब टूटे,
तब तब छिड़ते युद्ध हैं !!
युद्व टिका है हठधर्मी पर,
रौब जमाते हैं बली !
अतिक्रमण है सीमाओं का,
छल को तत्पर है छली !
समीकरण का हल जो खोजें,
होते वही प्रबुद्ध हैं !!
इक दूजे के हित टकराना,
संघर्षों की देन है !
अर्थतन्त्र कमजोर हुआ तो ,
घात करे बैचेन हैं !
हुई सुरक्षा चूक कहीं तो
लड़ने को कटिबद्ध हैं !!
समर सदा से रहे भयावह,
अनगिन होती मौत जो !
समधान के बाद दिखे हैं,
उड़ते श्वेत कपोत जो !
जिसनेझेली है विभीषिका,
पथ उसका अवरुद्ध है !!
देश वही मजबूत बना है,
दृढ़ चरित्र का साथ है !
जन नायक या जन जन ठहरे,
दें विकास में साथ है !
स्थिरता को आधार बनाए,
होता वही समृद्ध है !