मकरंद
मकरंद
मकरंद की एक कहानी बताऊं,
वो था एक युवक, मनोहारी और मोहित।
स्नेहपूर्ण आँखों से चमकता था वह,
जैसे तारों की चमक सी जगमगाती हो।
गाते गीतों में उसकी थी अदा खास,
सुनने वालों को कर देता वह मग्न,
मन मोह लेती थी उसकी आवाज,
जैसे सरस्वती देवी बांसुरी पर हो ध्यान।
मकरंद था एक रचनाकार भी,
काव्यों के सौंदर्य का धनी।
उसकी कविताएं थीं मधुर और मनोहारी,
उन्हें पढ़कर रह जाते थे सब हर्षित।
समय बिताते थे वह गंगा किनारे,
प्रकृति के साथ मिलकर उड़ाता था पंख।
वन विहार करते थे वह मनमोहन रंगों में,
भ्रमण कराती थी प्रकृति उन्हें नगर-निवासी।
पर मकरंद की परीक्षा आई,
ज़िन्दगी ने दिखाए थे रास्ते अजनबी।
धैर्य और संघर्ष की उसे थी जरूरत,
अपने सपनों को पाने की थी उसकी उत्सुकता।
मकरंद ने नहीं हारा जब तक,
नहीं थमा वह अपने संघर्ष की रफ्तार।
विजय की ओर बढ़ते चला वह,
करता रहा अपने सपनों का पीछा।