खुदगर्ज मुसाफिर
खुदगर्ज मुसाफिर
जीवन है अनमोल...
जीवन है अनमोल कहां और इसे खोना है,
मनुष्य सिर्फ एक खुदगर्ज मुसाफिर,
जीवन पथ पर चलना है।
मिटते हैं जज्बात यहां,
टूटता है हर एक स्वप्न यहां,
जीवन सिर्फ एक खिलौना है।
खोना पाना है चक्र यहां,
सब कुछ पाकर, सब कुछ खोना है,
जीवन है अनमोल कहां कब इसे खोना है।