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VanyA V@idehi

Classics Inspirational

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VanyA V@idehi

Classics Inspirational

मुझे ठहरना सीखा दे

मुझे ठहरना सीखा दे

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आज कर दिया हमने काशीदे से ये गुजारिश कि,

मुझे भी एक जगह ठहरकर ज़रा रुकना सीखा दे !


यूँ कि तकदीर हर बार मेरा चेहरा बदल देती है,

ठहरती हुई मेरी कोई एक ऐसी तस्वीर बना दे !


ले जा मुझे यूँ अपने आस्तीन में छुपाकर कर,

अक्सर ये आँखें नजर रखने को पहरा बदल देती है !


 हस्ब-ए-हालात अब, ढलने लगे हैं हम जिस तरह,

सुनसान सी राहों पर ज़िन्दगी रास्ता बदल देती है !


चिरागों से कभी कोई गिला, नहीं किया हमने वान्या,

ये शमा तो उजालों के लिए खुद को ही जला सकती है !


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