दिल पिंजरे में बंद रहा
दिल पिंजरे में बंद रहा
एक मिलन की आस लिए दिल पिजरे में बंद रहा।
उम्र गुजारी तन्हा मैने तेरा अक्श नयन में बंद रहा।
आंखें बरसाती सावन सा यादों में तुम बस तुम थीं
ना याद गई ना तुम आए कटी जिंदगी गुमसुम सी।
बिरहा की तपती लू में सौभाग्य मेरा कुछ मंद रहा।
एक मिलन की आस लिए दिल पिजरे में बंद रहा।
नदी नाव दरख़्त वो वादी जहां साथ हम झूमे घूमे
तेरा पता पूछते हमसे मौन खड़े हम गम से सहमे।
साथ तेरी थी यहां बहारें अब पतझड़ का हुड़दंग रहा
एक मिलन की आस लिए दिल पिजरे में बंद रहा।