मेरे पापा
मेरे पापा
मेरे पापा
फीस के लिए महाजन के घर जाते थे पापा,
इस चक्कर में उनके घर के,
कई चक्कर लगाते थे पापा।
घर बनाने में, बहन की शादी में, मेरी पढ़ाई में 2
मां के नैहर से मिला कमरबंद , पसीने की कमाई से अर्जा
जमीन का टुकड़ा बेचे है पापा ,
बचपन से जवानी तक, हमारे जीवन के बगीचे को,
बड़ी मुश्किल से सीचें है पापा।
देर सवेर ख्वाहिशें पूरी होती थी हमारी भी,
अच्छे से खराब से जैसे भी हो
परिवार की गाड़ी को खिंचे है पापा ।।
मां तो मां ही थी
पड़ोसी के घर से आटा मांग लातीं थी
तो हम खाते थे,2
झोला में बस्त्ता और रुमाल में टिफिन लेकर
हम पढ़ने स्कूल जाते थे।।