प्यारी पत्नी
प्यारी पत्नी
12 वर्ष ऐसे निकल गए जैसे 10–12 दिन बीते हों। आज कोई बड़ाई नही आज सिर्फ "दिल की बात "। तेरी दोस्ती, तेरा प्यार, तुम्हारा अपनापन, परिवार के लिए तुम्हारा समर्पण सब अद्भुत है, बेहतरीन है। कल थोड़ा व्यस्त थे और पहली बार विवाह वार्षिकी पे तुमसे दुर भी पर ईमानदारी से कहुं तो मुझे अहसास नही हुआ की हम दुर है, अनुमानत: ऐसा इसलिए भी की हम एक दूसरे से बेहद प्रेम करते हैं या फिर तुम मुझ में समा चुकी हो या फिर प्रेम प्रकृति है और प्रकृति ही ईश्वर है और ईश्वर तो सर्वत्र हैं। जो भी हो मैं सिर्फ प्रेम कर सकता हुं उसे परिभाषित नहीं कर सकता ये कार्य जिन्हे प्रेम का ज्ञान हो वही कर सकते हैं। जो भी हो कई वर्षो बाद आज फिर से शब्दों को जोड़ने का प्रयास कर रहा हूं।
मै इन कुछ वर्षो में कई बार गिरा,
तूने हर बार संभाला।
जब जब जिंदगी के झंझावात में फंसा,
तूने निकाला।।
लोग कहते थे स्त्री के कई रुप होते है.
...............मैने देखा है।
कहती हो न बहुत फिक्र करता हुं सबका,
...........सब तुम्हीं से सिखा है।।
प्यारी सी हो,अच्छी भी हो,
सुंदर भी लगती हो ये अलग बात है।
सच है कि मैं कभी ये बताता नही
अमित प्रेम करता है तुमसे "बेहद"
कभी जताता नहीं ये अलग बात है।।