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Amit Aman

Classics

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Amit Aman

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मेरा गांव

मेरा गांव

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ये जो मेरा गांव है

शहर का पराव है

वहां बहुमंजिले इमारत है

चिलचिलाती धूप है

यहां बरगद का छांव है


ये जो मेरा गांव है

शहर का पराव है।।

शहर गए जो छले गए

लगा उन्हे कि भले गए


 दौलतो का ढेर है

अपना अपना छल कपट

अपना अपना दांव है

ये जो मेरा गांव है

शहर का पराव है।।


आओगे एक दिन पलट के

रह जाओगे तुम बिलट के

जीर्ण काया को लिए

अरज के माया क्या किए

महुआ के बगान को

रस भरे आम को

चौराहे वाली शाम को


मिस करोगे घर के पिछवाड़े में

लगा चिनिया बदाम है

ये जो मेरा गांव है

शहर का पड़ाव है।।


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