मेरी धर्मपत्नी
मेरी धर्मपत्नी
मैं इन कुछ वर्षों में कई बार गिरा,
तूने हर बार संभाला।
जब जब जिंदगी के झंझावात में फंसा,
तूने निकाला ।।
लोग कहते थे स्त्री के कई रुप होते है.
...............मैंने देखा है।
कहती हो न बहुत फिक्र करता हूँ सबका,
...........सब तुम्हीं से सीखा है।।
प्यारी सी हो, अच्छी भी हो,
सुंदर भी लगती हो ये अलग बात है।
सच है कि मैं कभी ये बताता नहीं
अमित प्रेम करता है तुमसे "बेहद"
कभी जताता नहीं ये अलग बात है।।