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सोनी गुप्ता

Classics

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सोनी गुप्ता

Classics

प्रेम है

प्रेम है

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प्यार के लिए स्वार्थ त्यागना प्रेम है, 

मन में निस्वार्थ भावना होना प्रेम है, 


दिल में प्यार का एहसास ही प्रेम है, 

स्नेह की ओर, अग्रसर होना प्रेम है, 


समर्पण की भावना होना ही प्रेम है, 

बंजर धरती हरी -भरी हो वो प्रेम है, 


सर्दी की धूप गर्मी की छाया प्रेम है, 

किनारों से टकराती हुई लहरें प्रेम है, 


प्रेम का सही अर्थ समझे वही प्रेम है, 

ईश्वर का अनुपम उपहार बस प्रेम है I



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