रात को चमकते जुगनू से मैंने पूछा, "कहां से इतनी चमक लाते हो...? रात को चमकते जुगनू से मैंने पूछा, "कहां से इतनी चमक लाते हो...?
तुमको भूल न पाएंगे किस कदर प्यार है क्या कहें! तुमको भूल न पाएंगे किस कदर प्यार है क्या कहें!
यह हीरे हिय की डोर में संचित, प्रेम परिभाषित करते हैं। यह हीरे हिय की डोर में संचित, प्रेम परिभाषित करते हैं।
कितनी परवाह करते हो, बताने की जरूरत नहीं ! कितनी परवाह करते हो, बताने की जरूरत नहीं !
प्यार के लिए स्वार्थ त्यागना प्रेम है, मन में निस्वार्थ भावना होना प्रेम है! प्यार के लिए स्वार्थ त्यागना प्रेम है, मन में निस्वार्थ भावना होना प्रेम है!
बहुत दिनों से मैं कविता लिखने का प्रयास कर रही थी.... बहुत दिनों से मैं कविता लिखने का प्रयास कर रही थी....