परवाह
परवाह
कितनी परवाह करते हो, बताने की जरूरत नहीं
तुम्हारी आंखों से ही सब कुछ समझ आ जाता है
नींद में भी तुम्हारे लबों पर , मेरा ही नाम रहता है
मेरे जरा से कष्ट में , तुम्हारा कलेजा कांप जाता है!
कितनी परवाह करते हो, बताने की जरूरत नहीं
तुम्हारी आंखों से ही सब कुछ समझ आ जाता है
नींद में भी तुम्हारे लबों पर , मेरा ही नाम रहता है
मेरे जरा से कष्ट में , तुम्हारा कलेजा कांप जाता है!