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हरि शंकर गोयल "श्री हरि"

Romance

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हरि शंकर गोयल "श्री हरि"

Romance

परवाह

परवाह

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कितनी परवाह करते हो, बताने की जरूरत नहीं 

तुम्हारी आंखों से ही सब कुछ समझ आ जाता है 

नींद में भी तुम्हारे लबों पर , मेरा ही नाम रहता है 

मेरे जरा से कष्ट में , तुम्हारा कलेजा कांप जाता है! 


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