कैसे भूला दूं
कैसे भूला दूं
तुमको भूल न पाएंगे किस कदर प्यार है क्या कहें
मेरे अश़्क तेरी मोहब्बत को स्याही बन लिखते हैं।
तुम कहीं भी रहो मेरे ह्रदय से कभी विमुख नहीं हो
आ आ चीर के देख ले तेरे ही नूर से चिराग़ जलते हैं।
कैसे कह दूं मैं की तुम बिन ज़िन्दगी आसान है मेरी
क़ब्र में सोए मुर्दे जैसा हूं सन्नाटो का हिसाब रखते हैं।
अब तो बस तुम्हारे इन्तज़ार में आधा जीवन बीत गया है
अगले जन्म में फिर से तुम से मिलने की तमन्ना रखते हैं।
मुद्दतों से फिर एक मुद्दत मुक्करर मत कर के जाना
एक पल भी अब बिन तुम्हारे कैसे सोच के डरते रहते हैं।