कौन आने वाला है
कौन आने वाला है
कौन आने वाला है किसका रास्ता देखूं मैं अब
त्रेतायुग नहीं रहा की राम फिर लौट के आएंगे।
ये कलियुग है आज दशरथ वनवास को जाते है
एक बार गए तो फिर कभी न वापिस लौट पाएंगे।
धरा भी नहीं फटती अब सीता को समाने के लिए
उर्मिला को भी इंतजार नहीं जो नैना जाग पाएंगे।
ना परशुराम रहे ना लक्ष्मण सी उत्तेजना किसी में है
लंका भी अब दूर नहीं ना हनुमान अब लांघ पाएंगे।
किसी नारी को देखकर अब लक्ष्मण सी नज़र नहीं
अब कोई नहीं है जो भरत की विनम्रता ला पाएंगे।
हां सब उथल पुथल हो गया है आज के युग में
कोई नहीं आने वाला ये दिन भी यूं ही कट जाएंगे।
