रास्ता किधर है
रास्ता किधर है
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घर से निकले तो हो सोचा भी किधर जाओगे
बहुत रास्ते हैं चारों ओर तुम जिधर जाओगे।
तुम्हारे दिल के अरमान भी उड़ान की सोचते होंगे
खुला आसमान है इधर जाओगे या उधर जाओगे।
ये दुनिया उलझनों से भरी पड़ी है ज़रा संभल कर
सावधानी से नहीं तो कहीं न कहीं ठहर जाओगे।
कोई न कोई ठिकाना तो सोचा होगा निकले हैं तो
मंजिल तो होगी नहीं तो ज़माने से सिहर जाओगे।