भारत की सेना
भारत की सेना
अपनी अपनी विस्मृत
स्मृतियों को थोड़ा सा झंझोड़ीए
विस्मृत हुई उन यादों
को फिर वापिस मोड़िए।
आज़ाद हिन्द की
गुलामी में भी एक आज़ाद सेना थी
याद करो तुम
वीर सुभाष को ऐसे ना मुंह मोड़िए।
नींव वही है आज के
इस विशाल भारत की सेना की
पहला नारा ख़ून का,
बिन सुभाष के ना रूख मोड़िए।
आज आसमां छू रहा है
देखो अपने तिरंगे को
आगे बढ़ते इन कदमों को,
अपने इतिहास से भी जोड़िए।।
आज स्वावलंबी है भारत,
वीर अनेकों पैदा किए
कटे हैं सिर गिरे हैं बदन ,
मत इनसे इनका रूतबा छीनीए।
हर घर से निकली है
ख़ून की गंगा सरहद के लिए
भारत की भूमी को देव तरसे ,
जो शहीद हुए उन्हें भी याद किजिए।।
अभेद है भारत की सेना का मनोबल,
आकर कोई ललकारे तो सही
उन आने वाले शत्रुओं को बस
एक बार पुराना इतिहास पढ़ा दिजिए।।