STORYMIRROR

बृज व्यास

Inspirational

4  

बृज व्यास

Inspirational

हरियाली और हम

हरियाली और हम

1 min
485

हरा भरी धरती अपनी, इसे सजाना ही होगा

रूप निखर जाये ऐसा, अवसर लाना ही होगा


खूब हरे जंगल काटे हैं, खूब चलायी आरी है

आंगन आंगन कानन कानन, पौध लगाना ही होगा


लगा संतुलन आज बिगड़ने, धरा आजकल डोले है

करें जागरण आज अनूठा, अलख जगाना ही होगा


विषव्यापी है चली हवाएं, दूभर हुआ सांस लेना

हरा भरा हो भू का आँचल, नभ झुक आना ही होगा


कानन निर्जन, सूने उपवन, खालीपन अब दिखे यहाँ

जन मन तक पहुंचे हरियाली, सबक सिखाना ही होगा


खुशबू को भी तरस गई, कहाँ हवाई पींगें हैं

कलिकाओं के कानों में, सरगम गाना ही होगा


काँप रही साँसें उनकी, जो हमको जीवन देते

राह-राह, डगर-डगर में, वृक्ष बचाना ही होगा।


Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Inspirational