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कानन सूने सूने लगते , वनचर है भयभीत सभी ! नभ बादल को तरस रहे हैं,। कानन सूने सूने लगते , वनचर है भयभीत सभी ! नभ बादल को तरस रहे हैं,।
पृथ्वी बनी आग का गोला , मौसम कहाँ नियंत्रित है ! दावानल हैं , ज्वालामुख हैं.... पृथ्वी बनी आग का गोला , मौसम कहाँ नियंत्रित है ! दावानल हैं , ज्वालामुख है...
आज को जीना यदि लक्ष्य है कल के लिए सँभलना होगा आज को जीना यदि लक्ष्य है कल के लिए सँभलना होगा
काँप रही साँसें उनकी, जो हमको जीवन देते राह-राह, डगर-डगर में, वृक्ष बचाना ही होगा। काँप रही साँसें उनकी, जो हमको जीवन देते राह-राह, डगर-डगर में, वृक्ष बचाना ही...
अपव्यय को हम रोक न पाये संचय की ना ठानी ! अपव्यय को हम रोक न पाये संचय की ना ठानी !