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Maan Singh Suthar

Romance Tragedy

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Maan Singh Suthar

Romance Tragedy

बस तेरा नाम...!

बस तेरा नाम...!

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बस तेरा नाम है मेरी ज़िन्दगी का आख़िरी सफ़ा

लिखकर मेरी दास्तां को मैं क़लम को छोड़ दूंगा....!


हजारों अधूरे सवालों को तलाश करते करते हुए

एक आख़िरी सवाल तेरे नाम लिखकर छोड़ दूंगा....!


उलझीं हुई है मकड़जाल में सिसकती बेबस सी

क्या आसमां क्या ज़मीं अपनी निशानी छोड़ दूंगा.....!


बहुत खेल लिया शब्दों के भ्रमजाल से अब नहीं

जो उसने लिखा होगा वो मैं कैसे रूख मोड़ दूंगा......!


जीवनभर स्याही से लिखा सफेद काग़ज़ पर ही

सफेद चादर ओढ़ कर एक दिन स्वांस छोड़ दूंगा......!


संसार की रंगीनियां रंगहीन नज़र आती है अब

पंचतत्वो को मुक्त कर अब ये बंधन भी तोड़ दूंगा......!


आने जाने का ये फ़लसफ़ा अनसुलझी पहेली है

अंतिम क्षणों में सब छोड़ खुद से नाता जोड़ दूंगा.....!



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