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Maan Singh Suthar

Inspirational

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Maan Singh Suthar

Inspirational

मित्र वही जो....!

मित्र वही जो....!

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मित्र वही जो.......!


मित्र वही जो "काम" न आए

जो आए सो एहसान हो जाए.....!

एहसास हुआ सो अपमान होगा

चंद दिनों में जब वो अनजान हो जाए....!

मित्र वही जो.......!


ना स्वार्थ हो अपना , ना सामने

बस जब भी मिले चेहरे पर मुस्कान हो जाए....!

ना माया ना मोह का बंधन ,निश्चल निर्मल

बेदाग बे उम्मीद, गंगा के आंचल सा मेला न हो जाए...!

मित्र वही जो..…..!


दुःख में जो कांधा बने , एक आँसू का हक़ 

चमड़ी दमड़ी महल चौबारे, जहाँ सब व्यर्थ हो जाए.....!

एकात्म हो जब दो आत्मज्ञ सब क्षीण सब मिथ्या 

निस्वार्थ हो भाव जब तब दोनों कृष्ण सुदामा हो जाए.…..!

मित्र वही जो....…..!


पर्णकुटी और द्वारिका जैसे रज और स्वर्ग  

अपेक्षा ना उपेक्षा जब त्रिलोकी के एक मुठ्ठी त़दुल हो जाए.....!

गोवर्धन से जो इंद्र के प्रकोप का मान मर्दन करें 

त्रिलोकी के जब अश्रु बहे तो सुदामा के चरण गोवर्धन हो जाए....!

मित्र वही जो........!



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