बस अविरल बिना थमे चलती रही पारदर्शी तेरा जल,दुनिया से कुछ भी न छुपाती आदिदेव की जटा में बंध कर... बस अविरल बिना थमे चलती रही पारदर्शी तेरा जल,दुनिया से कुछ भी न छुपाती आदिद...
आँखें पत्थर ज़ुबान खामोश रिश्ते आकर आवाज़ लगाये जा रहे हैं... आँखें पत्थर ज़ुबान खामोश रिश्ते आकर आवाज़ लगाये जा रहे हैं...
फक़त इंतज़ार ही करता रह गया ! फक़त इंतज़ार ही करता रह गया !
हाँ, वही बूँद बारिश की हाँ, वही बूँद बारिश की
लेकिन मन को पूरा भिगो गए और वह भीतर को ही सरक गए। लेकिन मन को पूरा भिगो गए और वह भीतर को ही सरक गए।
जब वो तन्हा हो जाती थी बुरे ख्यालों में खो जाती थी. जब वो तन्हा हो जाती थी बुरे ख्यालों में खो जाती थी.