तेरा इश्क़ और वो बूँद
तेरा इश्क़ और वो बूँद
हाँ, एक बूँद बारिश की
पड़ती है तेरे तन बदन में
पिघल उठता है मेरा मन
हाँ, वही बूँद बारिश की
जिसमे मिला था दो मन
समा गई थी जिसमें साँसें
नहीं रहा था होश कुछ भी
मन मष्तिष्क में सिर्फ तुम थी
और थी वो बूँदे,
हाँ, वही बूँदें बारिश की
जो आज भी कायम है
हाँ, मेरे आँखों में अश्रु बन कर
तेरी याद बन कर,
बारिश की बूँद बनकर।।
