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Nilofar Farooqui Tauseef

Inspirational

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Nilofar Farooqui Tauseef

Inspirational

*खामोशी की आवाज़*

*खामोशी की आवाज़*

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शोर मचा है बहुत, तुम भी बता दो ज़रा।

खामोशी की आवाज़ से इन्हें जगा दो ज़रा।


किसी मंच पे चढ़कर चिल्ला गर नहीं सकते

दो लफ्ज़ लिखकर कोहराम मचा दो ज़रा।


इन आँखों ने देखे है, बहुत ज़ुल्म सितम

हाथों में लेकर मरहम इनपे लगा दो ज़रा


मज़लूमों की आवाज़ को फिर दबा रहा है कोई

खामोशी की आवाज़ से तुम आग लगा दो ज़रा


तलवार की ताकत से बढ़कर, तेरी क़लम है

क्या फनकार है इसमें ज़माने को दिखा दो ज़रा


ये खून की नदियाँ बहाने का शौक़ नही रखते

वो खून अपने स्याही में लगा दो ज़रा


बार-बार कोई ज़ख़्म दे जाता है मज़लूमों को नीलोफ़र

इंक़लाब के काग़ज़ पे, आवाज़ लगा दो ज़रा



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