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Nilofar Farooqui Tauseef

Abstract

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Nilofar Farooqui Tauseef

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ढिबरी

ढिबरी

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ढिबरी की रौशनी में,

न जाने कितने अरमान सजे,

कुछ सज कर बने,

कुछ बन कर बुझे।

आँगन की ताक हो,

या रसोई घर की डेहरी

उज्यारा लाए मन में,

रौशन जैसे दिन-दुपहरी

मिट्टी की दीवार,

रस्सी का खटिया,

धीमी-धीमी सी आग

छोटी-छोटी मचिया।

न मिलती जो दीया सलाई,

कलछी में आग भर लायी।

रौशन हो जाये घर.

छोटी सी ढिबरी फिर जलाई।*

छोटी सी ढिबरी फिर जलाई।*

【ढिबरी - काँच,मिट्टी या टिन से बना छोटा पात्र जिसमें मिट्टी का तेल भरकर सूती कपड़े की बत्ती डालकर प्रकाश करने के लिए जलाया जाता है।】

【मचिया- खाट का छोटा रूप】


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