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RAJESH KUMAR

Tragedy Classics Inspirational

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RAJESH KUMAR

Tragedy Classics Inspirational

साधरण से असाधारण

साधरण से असाधारण

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उत्सव का दिन 14 अप्रैल है आया

ज्ञान समानता का दिवस है आया

सब हैं स्वीकारते, अम्बेडकर थे ख़ास

अपने देश को बनाया और विशेष

योगदान अविस्मरणीय बना गये


कामगार मजदूर महिलाओं दलितों

को दिलाये समानता के अधिकार

क्यों ना हो सब हो एक समान

सर्वस्य अपर्ण कर हमे धन्य कर गए


शिक्षा से रहा सदा गठजोड़ उनका 

क़िताबों को बनाया अपना बल

फिर झुके नही, बढ़ते गये 

तर्कों से निरूत्तर कर गए,ना घबराए

देश धरा भी मेरा, लोग भी मेरे

कुछ भी हो गलत सहने को तैयार नहीं


रूढ़िवादी सोच पर करते रहे प्रहार

ताकि हो देश का विकास

सत्ता, शासन या संविधान

पर केंद्र में रहा आम इंसान


कहते हैं जो शिद्दत से सोचें

होता है पूर्ण, सब को दिखा दिया

भीम ने अम्बेडकर बन दिखा दिया

जिन किताबों से थे वंचित, साहब

अब सब उनको अब हैं, पढ़ते

देश ने भी “भारतरत्न” बना दिया


कहते हैं जो शिद्दत से सोचें

होता है पूर्ण, दिखा दिया

भीम ने अम्बेडकर बन दिखा दिया

देश ने भी “भारतरत्न” बना दिया।


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