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Kishan Negi

Abstract Tragedy Classics

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Kishan Negi

Abstract Tragedy Classics

क्या हुआ अगर

क्या हुआ अगर

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क्या हुआ अगर 

कोई छोड़कर चला गया तुझे

कल भी तन्हा था आज भी तनहा तू 

अब तन्हाई ही डगर तनहाई ही हमसफर 

तू अकेला नहीं, भीड़ में हर चेहरा तनहा है यहां 


क्या हुआ अगर 

वो नहीं तो कोई और सही 

कोई और नहीं तो कोई और सही

जो तेरा नहीं वह किसी और का भी नहीं

तू अकेला नहीं, कई शिकार हुए इस हादसे के 


क्या हुआ अगर 

पहला प्यार बेवफा निकला 

रंग बदलना उसकी फितरत में था 

तू ही नादान था जो समझ ना सका उसे 

तू अकेला नहीं, और भी कत्ल किए हैं उसने


क्या हुआ अगर 

ख्वाब बिखर गए हैं तेरे 

फुर्सत में फिर समेट लेना 

बस खुद को मत बिखरने देना तू 

तू अकेला नहीं, और भी बिखरे हैं कई यहां।


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