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Dr Baman Chandra Dixit

Classics

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Dr Baman Chandra Dixit

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हाथों में गुलाल

हाथों में गुलाल

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हाथों में लाल गुलाल देख

वो शर्म से लाल हो गये हैं।


किसने लगा दी रंग के वो

गुल से गुलाल हो गये हैं।


बयाँ कर रही हालातें उनकी

वो कैसे बेहाल हो गये हैं।


साँसें रुकी थीं अभी चलपडी

धड़कने बेकाबू हो गए हैं ।।


नज़रें मिली भी नहीं दरम्यां

फ़िर कैसे ये हाल हो गये हैं ।


नज़रे झुकी फिर उठी तो 

कैसे ये कमाल हो गये हैं


उड़ा अविर उनके आहते में

देखा दूर मलाल हो गये हैं।


शुक्र ऐ गुलाल तेरे खातिर

मेरी आंखें निहाल हो गये।


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