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Dr Baman Chandra Dixit

Others

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Dr Baman Chandra Dixit

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तेरे बिना

तेरे बिना

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कभी खुद से खफ़ा हो जाना,

जब से तेरा दफ़ा हो जाना ।

बतलाऊँ किस किससे कैसे 

दिन गुज़रे कैसे तेरे बिना ।। 

भीड़ बहुत है यहाँ मगर

अकेलापन सताता है बहुत 

साथ हैं लेकिं कोई साथी नहीं

तनहा सा खड़ा हूँ तेरे बिना ।।

दरवाजा खुला है उसी तरह

जिस तरह छोड़ गई थी तुम

उम्मीद अधूरी ज़िंदा आज भी

मायूस मगर हूँ तेरे बिना ।।

तेरा आना और न हो सकता

जानता मगर मानता नहीं दिल

जारी है सफ़र ज़िंदगी की मगर

लगता नहीं दिल तेरे बिना ।।

कर न सकी इंतज़ार यहाँ

एक इन्तिज़ा सुन जान मेरे

जरा ठहरना वहां आता हूँ मैं

रहना नहीं यहां तेरे बिना ।।



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