मखमली ख्वाब
मखमली ख्वाब
मखमली ख्वाब जो,
पलकोपें छाँ गया,
हरघडी अब वक्त,
फिसलन बन गया ...
क्या था ये जो हरपल,
मजाक में कहते थें,
अब ना जी पायेंगे बिन तुम्हारे,
ये आलम बन गया ...
गीत गझल कवितायें भी,
तुममें घुल गया,
कलम जो उठायें हम,
पर्चा चर्चा बन गया...
गुलाब जो कहँ गया तुम्हे,
फूल हमसे रूठ गया,
मनाना तुमकों था तो मै,
उनके खिलाफ बन गया ...
गुलाबी बन गया है समाँ,
गुलाबी मै रंग गया,
बाहों में जो तुम आई,
प्यार का गुलकंद बन गया...