STORYMIRROR

Manisha Wandhare

Romance

4  

Manisha Wandhare

Romance

मखमली ख्वाब

मखमली ख्वाब

1 min
282

मखमली ख्वाब जो,

पलकोपें छाँ गया,

हरघडी अब वक्त,

फिसलन बन गया ...

क्या था ये जो हरपल,

मजाक में कहते थें,

अब ना जी पायेंगे बिन तुम्हारे,

ये आलम बन गया ...

गीत गझल कवितायें भी,

तुममें घुल गया,

कलम जो उठायें हम,

पर्चा चर्चा बन गया...

गुलाब जो कहँ गया तुम्हे,

फूल हमसे रूठ गया,

मनाना तुमकों था तो मै,

उनके खिलाफ बन गया ...


गुलाबी बन गया है समाँ,

गुलाबी मै रंग गया,

बाहों में जो तुम आई,

प्यार का गुलकंद बन गया...


Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Romance