लाल गुलाब
लाल गुलाब
तुम तो खुद गुलाब हो
मेरे इस जीवन के
तुम ही महकाते हो
मेरे मन आँगन को
तुमसे ही बहार है
मेरी जीवन बगिया के
तुम ही गुलाब हो..
तुम महकते रहते हो
प्रेम की सुवास लिए
मेरे अंतर्मन में
तुम ही बसे रहते हो
मेरे ख्यालों की क्यारी में
गुलाब की तरह उगते हो
दिन पर दिन विकसित हो रहे
हो अंतर मन मे
मुझे भी अपने अहसासो से
खिलाते हो गुलाबों की तरह
ये गुलाब इश्क है पिया
तुम बस तुम हो
रूह में बसे हुए हो
शिराओं में लहुँ की तरह
बहते रहते हो
हर पल हर लम्हा बस तुम हो
ओ मेरे मन मानस के
भीतर खिलते हुए
इश्क गुलाब नाज़ुक से
तुम और मैं तो
हम बन चुके....
अब तुमको क्या कहूँ
मेरे इश्क गुलाब...!!