माँ बाप की सोच में बेटी
माँ बाप की सोच में बेटी
बेटी बेटी होती है
तेरी मेरी या इसकी उसकी
नही होती ,बेटी ही होती है
बेटी की कोई जात पात नही होती है
हर धर्म मे बेटी बेटी ही होती है
हर देश,जगह,घर मे बेटी,
बेटी ही होती है
बेटी से ही संसार है
बेटी से हमारी आन,बान और शान है
बेटी सर का ताज है
बेटी दिल और उसकी धड़कन है
बेटी से संस्कार है
बेटी बुढ़ापे की लाठी है
बेटी है तो जीवन है
बेटी का सुख दुःख में साथ है
बेटी है तो उम्मीद है
बेटी है तो अरमान है
बेटी लक्षमी का रूप है
बेटी दो कुल की पहरे दार है
बेटी मयके और ससुराल की जान है
बेटी वरदान है
बेटी देवी स्वरूप है
क्या कहूँ बेटी क्या क्या है ???
