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meeta luniwal

Drama Others

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meeta luniwal

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मैं गंगा हूँ

मैं गंगा हूँ

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शिव जटा निवासी, जन जन की मोक्षदायिनी,

निर्मल हृदय, अन्न दात्री, मैं हूँ जीवनदायिनी,

मैं पवित्र पावन, भगीरथ के तप से आई ज़मीं पर

धारण किया मेरे तीव्र वेग को जटा में शिव ने

मैं स्वर्ग से उतरी अनेक मेरे है नाम भागीरथी,

मंदाकिनी, सुरसरि, तरंगिणी, देवपगा आदि 

मैं गंगा एक विश्वास, आस्था लोगों की

मैं माँ हूँ अनेको अनेक मेरे बच्चे है

मैं बहती धारा मुझे बांध नहीं कोई पाया,

पूजते मुझे, अपने पाप मुझे समर्पित करते

मेरे निर्मल जल को भर भर ले जाते

घर बार, दुकान स्थान आदि पवित्र करते,

मृत्यु के समय गंगा जल ही मुख में डालते है

कितने ही शवों को मेरी धारा में प्रवाहित किया जाता है

शवों की अस्थियों को मेरे जल में प्रवाहित किया जाता है

हरिद्वार मोक्ष के लिये आते प्राणी जन आते मेरे पास,

मैं सदियों से प्राणी जन का करती आ रही उद्धार

हाँ मैं गंगा हूँ।



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