सब प्रेम में हों डूबे ना कोई द्वेष होवे, कोई बालपन यहाँ ना बिन अन्न भूखा सोवे, सब प्रेम में हों डूबे ना कोई द्वेष होवे, कोई बालपन यहाँ ना बिन अन्न भूखा सोवे...
फिर काँटे चुभने की शिकायत क्यों, फिर काँटे चुभने की शिकायत क्यों,