प्रार्थना
प्रार्थना
हर कामना की तृप्ति कर्मों से हो मुरारी,
ना लालसा में डूबें ये दान दो भंडारी,
तृप्त रहें सब नदियां पूरित रहें जलाशय,
फ़ल फ़ूल से भरी रहे हर वृक्ष और डाली,
ना शोक में रहे घर ना कोई हो दुखारी,
ये धरा ही मेरे भगवन बन जाए स्वर्ग सारी।
सब प्रेम में हों डूबे ना कोई द्वेष होवे,
कोई बालपन यहाँ ना बिन अन्न भूखा सोवे,
भण्डार सारे भर दो हे कुबेर सुख के दाता,
ना हो ग़रीब कोई इतना तुम दो विधाता,
ना नेत्र कोई रोए ना हो हृदय प्रताड़ित,
ऐसी गंगा फ़िर से भगीरथ करो प्रवाहित।
हर बच्चा इस धरा का हो ज्ञान का खजाना,
युवा पीढ़ी को सिखा दो देश भक्ति का तराना,
हर घर में मेरे मालिक सुख शांति का हो आलम,
और मौसम इस धरा का बन जाए सुखद सावन,
ये अरदास लेकर दाता आई हूँ तेरे द्वारे,
भटके हुओं को दिखा दो सही रास्ते किनारे।
ना कमज़ोर कोई जन हो तुम मानसिक बल देना,
हे प्रभु! हर एक मन को हिम्मत से तुम भर देना,
छल प्रपंच ना हो, हो सच्चा हर एक मानव,
सब देव सम हो जाएं रह जाए ना कोई दानव,
ये अर्ज़ मेरे मालिक पूरी करो हमारी,
मेरे देश की ये मिट्टी हो जाए पावन सारी।।