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saru pawar

Romance

4  

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तेरी इक पुकार

तेरी इक पुकार

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आज अचानक तुझे कैसे मेरी याद आई           

वरना तो गूम हो तुम कहीं अपनी ही दुनिया में  

ओ तुम्हारा कटा कटा सा रेहना                 

रहना ऐसे की तुम्हे जरूरत ही नहीं मेरी         

  

मेरा ही तुम्हें मिलने के लिऐ तरसना             

रात रात जाग कर तुम्हे याद करना              

आहटे भरना तुम्हारी जुदाई में

कभी आँसुओं सें ओ तकिऐ को गिला करना        


तुम्हारी तस्विर को अकेले में तांकना              

तुम्हें मनाना बार बार, 'के आ जाओ अबकी बार'

हमेशा हि तुम्हारा मेरी इल्तजा को ठुकराना

तो आजकल मेरा भी मेरे दिल को समझाना


'ऐ दिल सब्र कर, यों पागल ना बन               

जिंदगी में भी है फर्ज/ दर्द तेरी मुहब्बत के सिवा !'

आजकल मेरा भी उसकी यादों के

सिवा अपने आपकों मसरूफ रखना 


न अपनी तड़प का इजहार करना                 

पर आज तेरा ओ अचानक बेवजह फोन आना

करा गया ऐहसास ये के तु भी है अकेला मेरे सिवा

तेरी पुकार ये दिल तक है पहुँची मेरे

अब कराऊँगीं ना इंतजार दोबारा !


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