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saru pawar

Abstract

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saru pawar

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लफ्जों का कारवाँ...

लफ्जों का कारवाँ...

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है लाजवाब सा लफ्जों का कारवाँ

कहीं भिगो के पलकें

बहा देता है अश्क ए..

कही छू के दिल इश्क में

डूबों देता है..

कहीं जला देता है लो

जेहन में कूर्बानी की..

बस कह दे कोई दो लफ्ज 

वतन की शान में गर..

है एहसासों से भरी बुँदे 

जैसे लफ्ज..

भिगो के रख दे हर

 दिल,जेहन...



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