ग़ज़ल
ग़ज़ल
उनके चेहरे पे मैंने ख़ुशी देख ली।
एक लम्हे में यूँ जिंदगी देख ली।
इश्क़ में हो गए हैं फ़ना इस कदर,
हुस्न की हमने जादूगरी देख ली।
एक पल में ही गायब जहाँ से हुए
इन अँधेरो ने जब रोशनी देख ली
टांक डाला जो पल में बटन शर्ट पर,
उनके हाथों की कारीगरी देख ली।
छोड़ डाला है पढ़ना मुझे आजकल।
शाइरी में कमी क्या मेरी देख ली।
डर गयी और उछलने लगी ज़ोर से,
शायद उसने कोई छिपकली देख ली।
मरमरीं चेहरे को बस रहा ताकता,
सबने मेरी "कमल" सर-ख़ुशी देख ली।
