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Dinesh Dubey

Abstract

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Dinesh Dubey

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जो ना समझे

जो ना समझे

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जो ना समझे ठोकर खाकर,

वो क्या करेगा सब कुछ पाकर ,

जो ना समझे अपने पराए ,

समझो अपनी दुनिया गवाएं ,


जो ना समझे किस्मत की चाल,

वो रहता हरदम बेहाल ,

जो ना समझे मन की बात ,

परेशान रहता वो दिन रात ,


जो ना समझे प्यार की भाषा ,

उस से रखो न कोई आशा ,

जो ना समझे खुद अपने को ,

वो झूठ समझता हर सपने को।।



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