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Arunima Bahadur

Abstract

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Arunima Bahadur

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सच और हम

सच और हम

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हर पल तो बताती हैं ये जिंदगी,

अस्थाई बसेरा हैं ये वसुधा तेरा,

मत कर लोभ चंद महलों का,

छोड़ बसेरा बस चले जाना है।


अनंत को पाने,अनंत में मिल जाने,

वही तो है एकमात्र आनंद,

उस असीमता में खो जाने का,

पर नादान,हम सब भूल बैठे हैं।


चंद नोटो की खातिर आज,

अपनो को ही छोड़ बैठे हैं।

कही जर्जर काया अश्रुपूरित नैन है,

और कही सत्य को नकारती स्वार्थी आंखे हैं।


भूल कर यह चक्र,

बस बढ़ती जा रही अंधकार को,

तलाशने को खुशिया,

पर मिलता हैं क्या,जाना भी है खाली हाथ।।


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